पटना.पटना.अभी हाल में रोम में ‘संत‘ बनने वाले संत देवसहायम को श्रद्धांजलि अर्पित करने का निर्णय लिया गया है.पेंटेकोस्ट के बाद दूसरे रविवार के बाद 24 जून दिन शुक्रवार को येसु का पवित्र हृदय का पर्व है. उस दिन संत देवसहायम को श्रद्धांजलि अर्पित किया जाएगा.मौके पर सभी येसु का पवित्र हृदय के पवित्र परिवारों के लिए 8.30 से 9.30 बजे रात्रि एक घंटे की राष्ट्रीय धन्यवादी प्रार्थना सेवा का आयोजन किया गया है.
बता दें कि भारत का सबसे बड़ा चर्च रोमन कैथोलिक चर्च ही है.रोमन कैथोलिक कुल आबादी का 1.55 प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी संख्या लगभग 20 मिलियन से अधिक हैं. भारत में 10,701 पैरिश और 174 धर्मप्रांत हैं, जो 29 प्रांतों में संगठित हैं.इनमें से 132 लैटिन कैथोलिक चर्च के हैं.भारत में लैटिन कैथोलिक चर्च के द्वारा शुक्रवार 24 जून 2022 को एक घंटे की राष्ट्रीय धन्यवादी प्रार्थना सेवा आयोजित करेगा.
यह भी बता दें कि संत देवसहायम की समाधि संत फ्रांसिस जेवियर्स कैथेड्रल, कोट्टार, तमिलनाडु में है वहां से ही से प्रार्थना की जाएगी. यूचरिस्टिक आशीर्वाद के साथ विशेष प्रार्थना सेवा कैथोलिक उपग्रह टेलीविजन चैनलों जैसे माधा टीवी, शालोम टीवी, गुडनेस टीवी, दिव्यवाणी टीवी, आत्मदर्शन टीवी, ईश्वरी टीवी, सीसीआर टीवी और प्रार्थना भवन टीवी पर प्रसारित की जाएगी. इसे प्रमुख कैथोलिक यूट्यूब चैनलों के माध्यम से भी स्ट्रीम किया जाएगा.
बाइबिल के लिए सीसीबीआई आयोग के कार्यकारी सचिव डॉ. येसु करुणानिधि और भारत के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु हिंदी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलुगु, बंगाली और बडगा सात भाषाओं में भक्तों की प्रार्थनाओं का नेतृत्व करेंगे. त्रिवेंद्रम के आर्चबिशप माननीय थॉमस जे. नेट्टो संत देवसहायम की प्रार्थना का पाठ करेंगे. संत देवसहायम के लिए गीत गाना बजानेवालों द्वारा संत की हिमायत का आह्वान करते हुए गीत गाना गाया जाएगा.
महामहिम कार्डिनल-चुनाव फिलिप नेरी फेराओ, अध्यक्ष सीसीबीआई और गोवा और दमन के आर्चबिशप सभी परिवारों को येसु के पवित्र हृदय को समर्पित करेंगे.मदुरै के महाधर्माध्यक्ष एंटनी पप्पू सामी समापन प्रार्थना का पाठ करेंगे और मोस्ट रेव लियोपोल्डो गिरेली, भारत के अपोस्टोलिक नुनसियो यूचरिस्टिक आशीर्वाद देंगे.
भारत के सीसीबीआई के अध्यक्ष द्वारा जारी परिपत्र में सभी से अनुरोध किया जाता है, विशेष रूप से परिवारों और धार्मिक समुदायों से, इस प्रार्थना सेवा में शामिल हो और इस कार्यक्रम के बारे में भक्तों के साथ साझा करें.जिनके परिवार और समुदाय के सदस्य विदेश में हैं, ताकि वे भी एक परिवार के रूप में शामिल हो सके.
यह आशा व्यक्त किया गया है कि भारत में सभी श्रद्धालु इस एक घंटे में एक परिवार के रूप में बिताएंगे, इस प्रकार कैथोलिक धर्म और चर्च की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता की गवाही देंगे.भारत में लैटिन कैथोलिक चर्च में 132 लैटिन कैथोलिक चर्च और 20 मिलियन भक्तगण विश्वासी हैं.
300 साल बाद वेटिकल से संत की उपाधि
साल 1745 में अपनाया ईसाई धर्म
देवसहायम पिल्लई का जन्म 23 अप्रैल 1712 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में हिंदू परिवार में हुआ था और उन्होंने 1745 में ईसाई धर्म अपना लिया और अपना नाम लाजरूस रख लिया था.इसका मतलब होता है प्रभु की मदद.तमिल और मलयालम भाषाओं में इसका अनुवाद देवसहायम होता है. इसी नाम से उन्हें अधिक पहचान मिली. धर्मांतरण के कारण उनको काफी नाराजगी झेलनी पड़ी थी. पिल्लई तत्कालीन त्रावणकोर के राजा के दरबार में एक अधिकारी थे. राजा मार्तंड वर्मा के अधीन त्रावणकोर सेना के कमांडर के रूप में बाद के कार्यकाल के दौरान उन्हें डच नौसेना अधिकारी कैप्टन डी लेनॉय द्वारा ईसाई धर्म से परिचित कराया गया था. देवसहायम के पिता वासुदेवन नंपुथिरी एक ब्राह्मण थे और उनकी मां का नाम देवकी अम्मा नायर जाति की थी.इसलिए उनका नाम नीलकंद पिल्लई रखा गया.
साल 1752 में हुए शहीद
साल 2020 में वेटिकन ने कहा था कि प्रचार करते समय उन्होंने विशेष रूप से जातिगत मतभेदों के बावजूद सभी लोगों की समानता पर जोर दिया. उनका धर्म बदलना उनके मूल धर्म से जुड़े प्रमुखों को रास नहीं आया.उनके खिलाफ राजद्रोह, जासूसी के झूठे आरोप लगाए गए.शाही प्रशासन के पद से हटाया गया और जेल में डाल दिया गया.14 जनवरी 1752 को देवसहायम को गोली मार दी गई. जिसके बाद उन्हें शहीद का दर्जा मिला. कोट्टर में 2 दिसंबर 2012 को ईसाई धर्म अनुसार उन्हें सौभाग्यशाली (ब्लेस्ड) घोषित किया गया था.15 मई 2022 को संत घोषित किये गये.
आलोक कुमार
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