Tuesday, 18 June 2013

हे, चिंटुआ के दीदी हे दीदी, जरा हमरा के जमीन दिला दी ही

हे, चिंटुआ के दीदी हे दीदी, जरा हमरा के जमीन दिला दी ही

आजकल विभिन्न मुसहरियों में यह गीत गाया जाने लगा है

बोध गया। आजकल विभिन्न मुसहरियों में यह गीतहे, चिंटुआ के दीदी हे दीदी, जरा हमरा के जमीन दिला दी ही यह इस लिए जोरदार ढंग से गाया जा रहा है कि बिहार में सबसे पहले भूमि सुधार कानून को लागू किया था। जोे बेहतर ढंग से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमि सुधार आयोग गठित की। आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय के द्वारा आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन देने की अनुशंसा सरकार से की थी। परन्तु,उसे लागू नहीं किया गया।

 मालूम हो कि संपूर्ण राज्य में बिहार प्रिविलेज्ड होमस्टिड टिनेंसी एक्ट,1947 भी लागू किया। उस समय आवासीय भूमिहीनों को 12ण्5 डिसमिल देना तय किया गया। जो कालान्तर में 10 डिसमिल कर दिया गया। इसके बाद 4 डिसमिल और अब 3 डिसमिल जमीन दी जा रही है। आवासीय भूमिहीनों को जमीन देने के लिए सर्वें किया जाता है। इसका सार्थक परिणाम भी सामने नहीं आता है। इसके कारण महादलित मुसहर समुदाय के लोग सरकार के नुमांइदों के पास जाकर आवेदन देते हैं।
अब सरकार ने 3 डिसमिल जमीन खरीदने के लिए बीस हजार रूपए देने की घोषणा की है। मगर, बीस हजार रू0 में जमीन की खरीदारी नहीं हो पा रही है। इसके बावजूद भी गंगहर गांव के 40 महादलित मुसहर समुदाय के लोग 14 फरवरी,2013 को जिलाधिकारी और भूमि सुधार उप समाहर्ता के नाम से आवेदन पेश किया है। आवेदन देने वालों में प्रमोद मांझी, धर्मेन्द्र मांझी, विरेन्द्र मांझी आदि हैं।
इसी तरह बहिराडीह कोशिला के  शिबु मांझी, अजय मांझी, योगेन्द्र मांझी समेत 63 महादलितों ने 14 फरवरी,2013 को जिलाधिकारी और भूमि सुधार उप समाहर्ता को आवेदन देकर आवासीय भूमिहीनों को आवास हेतु भूमि खरीदकर देने का आग्रह किया है।