परम्परागत ढंग से
खेती करने से
1 कट्टे में दो
से तीन मन
अनाज
श्री विधि
से करने से
1 कट्टे में 9 से 10 मन
मिलता अनाज
अतरी।
इन दिनों अंतरी
प्रखंड में श्री
विधि तकनीक से
लघु किसानों को
खेती करने पर
जोर दिया जा
रहा है। प्रगति
ग्रामीण विकास समिति के
कार्यकर्तागण श्री विधि
तकनीक से लघु
किसानों को उन्नत
किस्म के अनाज
उत्पादन करने को
गुर सीखा रहे
हैं।
प्रदान नामक दाता
संस्था के सहयोग
से गैरसरकारी संस्था
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
के द्वारा अतरी
प्रखंड के 5 पंचायतों
के 17 गांवों को
मॉडल के रूप
में विकसित किया
जा रहा है।
पंचायत का नाम
नरावट, जिरी,सीढ़,सहौरा,टेटुआ और
धुसरी है। सुखद
पहलू यह है
कि इन पंचायतों
में 4 महादलित गांव
भी है। सहौरा
पंचायत के भोला
बिगहा और माफा
गांव है। माफा
गांव में महादलित
रविदास के किसान
शामिल हुए हैं।
वहीं सीढ़ पंचायत
के इन्दिरा नगर
और नरावट पंचायत
के वनवासी नगर
में महादलित मुसहर
समुदाय के किसान
शामिल किये गये
हैं। सरकार के
द्वारा इन्दिरा नगर के
महादलितों को जमीन
का परवाना मिला
है। वनवासी नगर
के महादलित वन
विभाग की जमीन
पर खेती करते
हैं। भोला बिगहा
में रैयती जमीन
पर और माफा
में रैयती और
बटाईदारी खेती करते
हैं।
अभी तक
322 लघु किसानों का समूह
बना लिया गया
है। इसमें 55 महिला
किसान भी हैं।
इन लघु किसानों
को समय-समय
पर श्री विधि
तकनीक से बेहतर
ढंग से खेती
करने का प्रशिक्षण
भी दिया जाता
है। किस तरह
से श्री विधि
तकनीक से खेती
की जाती है।
इस संदर्भ में
प्रदान नामक दाता
संस्था के परियोजना
पदाधिकारी और प्रशिक्षक
शत्रुध्न कुमार ने संक्षिप्त
में जानकारी दी
है। इच्छुक किसानों
को एक दिवसीय
प्रशिक्षण शिविर के दौरान
विस्तार से जानकारी
दी जाती है।
अपने कुशल नेतृत्व
में कार्य अंजाम
तक पहुंचातेे हैं।
बीज उपचार-
चार लीटर पानी
में साधारण नमक
डाला जाता है।
उसके बाद मुर्गी
का अंडा को
नमकीन पानी में
डाला जाता है।
अगर अंडा पानी
के सतह पर
आ जाए तो
उसमें दो किलोग्राम
धान डाला जाता
है। धान डालने
के बाद खराब
धान पानी के
सतह पर आ
जाता है। उसे
छानकर निकाल लिया
जाता है। इसके
बाद स्वच्छ पानी
से धान को
धोया जाता है
जबतक नमकहीन न
हो जाए। इसके
बाद स्वच्छ पानी
में धान को
10 घंटे तक छोड़
दिया जाता है।
10 घंटे के बाद
धान को पानी
से निकालकर सूती
कपड़े की पोटली
में बांधकर टांग
देते हैं।
बीज शोधन-
चार लीटर पानी
में वर्मी खाद
डाला जाता है।
इसमें ढाई सौ
ग्राम मिठ्ठा उतने
ही गो-मूत्र
डाला जाता है।
इसके बाद पोटली
से निकालकर 10 घंटे
तक रखा जाता
है। कुछ पेस्टीसाइड
डाला जाता है।
खेत का
नर्सरी तैयार- खेत को
खोदा जाता है।
चार गुणा छह
का बेड बनाया
जाता है। कुछ
दूरी पर गड्डानुमा
कहरा बनाया जाता
है। इस कहरा
में पानी भरने
से बेड का
सिंचाई होते रहता
है। बेड पर
वर्मी खाद का
छिड़काव किया जाता
है। इसके बाद
विधि अनुसार तैयार
धान का बीज
का छिड़काव किया
जाता है। इतना
करने से 6 दिनों
के अंदर धान
का बीज पौधा
बन जाता है।
इस पौधे को
8 से अधिकतम 15 दिनों
के अंदर खेत
में रोप दिया
जाता है। श्री
विधि तकनीक के
अनुसार दस गुणा
दस पर पौधे
की रोपाई की
जाती है। बीच-बीच में
मशीन से जुताई
भी की जाती
है। लघु किसानों
को 110,120 और 135 दिनों के
अंदर एक कट्टे
में 9 से 10 मन
धान मिल जाता
है।
आलोक कुमार
9939003721