Monday 5 August 2013

पानी हेलने से प्रखंड में डेरा डाला


पटना जिले के दानापुर दियारा में जबर्दस्त कटाव से लोगों में दहशत

दानापुर।  यहां गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रहने से दानापुर दियारा क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गयी है। इस दियारा क्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में है। जिसमें इस दियारा के पानापुर, मानस, नवदियरी, कासिमचक, बड़ा कासिमचकमाधोपुरपतलापुरकाफरपुरजाफरपुर समेत कई गांवों की हजारों हजार की आबादी को गंगा के बाढ़ से परेशानी बढ़ गयी है। पूरी तरह से जलमग्न इस दियारा के सारे गांव में नाव चल रही है। जो उनके जीवन रक्षा का एकमात्र सहारा बना हुआ है। वहीं आज से राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन की देखरेख में राहत बचाव कार्य तेज करते हुए एनडीआरएफ की एक कम्पनी को तैनात करा दी गयी है। जहां पर तैनात एनडीआएफ कम्पनी सहायक कमांडेट एसएस शहनवाज के नेतृत्व में चार मोटरवोट के सहारे इस दियारा में बाढ़ में फंसे घर परिवार के लोगों को बचाव कर नगर के बीएस कॉलेज में बने बाढ़ राहत शिविर में पहुंचाया है। साथ ही एनडीआरएफ की टीम ने पूरे दियारा में राहत बचाव कार्य में मोर्चा संभालते हुए निगरानी शुरू कर दी है।
 छानापुर एसडीओ अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देशन में बाढ़ प्रभावित दानापुर दियारा में एनडीआरएफ की एक कम्पनी को लगाया है। जो वह अपना कार्य शुरू कर दिया है। हालात पर नजर रखीं जा रही है। दूसरी ओर दानापुर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के लाल निशान को पारकर गया है। यहां पर देवनिया नाला स्थित जल संसाधन विभाग के बने नियंत्रण कक्ष के अनुसार यहां का जलस्तर 170 फीट हो गया है। जो खतरे के लाल निशान से दो फीट हो गया है। जो दो फीट ऊपर जलस्तर होने से बाढ़ की स्थिति अब गंभीर बन गयी है। नगर सुरक्षा तटबंधों पर बाढ़ के पानी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
  दियारा का पुरानी गांव के निकट तेज कटाव हो रहा है। इसके कारण उस  गांव के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है। गंगा नदी की मूल धारा इस गांव के किनारे बसे दलित टोला से गुजर रहा है। दलित टोला से महज एक सौ फुट और उक्त गांव से दो सौ फुट की दूरी पर  हो रहे कटाव को देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले दस से पन्द्रह दिनों के भीतर गांव गंगा नदी के गर्भ में समा जाएगा। सबसे पहले दलित टोले की बारी आएगी, जहां 15 से 20 घरों में सौ से ज्यादा की संख्या में दलित रहते हैं। यह बस्ती सीधे गंगा नदी में विलीन हो जाएगी।
इस बस्ती के बगल में प्रतिदिन आठ से दस फुट तक कटाव हो रहा है। बस्ती के दलितों और गांव के बाशिंदे कटाव को देखकर परेशाान हैं। कटाव को रोकने के लिए अभी तक सरकार या प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं आया है, जिसके कारण गांव के लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में जुट गए हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल उस दलितों की है, जिनका आशियाना सबसे पहले गंगा में विलीन होने वाला है, उन्हें  समझ में नहीं रहा है कि कौन से सुरक्षित स्थान में जाकर शरण ले सकें। क्योंकि सभी दलित परिवार भूमिहीन है और सीधे खेत मजदूरी कर अपना जीवन बसर करते हैं।
गंगा नदी को जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है,जिसके कारण लगभग आधा किलोमीटर तक कटाव हो रहा है। आधा किलोमीटर से पहले और उसके आगे बाढ़ नियंत्रण के अभियंताओं ने बोरी में बालू की जगह मिट्टी भरकर कटाव को रोकने की व्यवस्था किया है, जो नाकाफी साबित हो रहा है। हजारों बोरे में बालू की जगह मिट्टी भरकर तटबंधों पर रखे जाने से बोरी वाली मिट्टी नदी की तेज धारा में बह जा रही है,जिसके कारण तटबंध पूरी तरह कटाव की चपेट में गया है। गांव के लोग बताते हैं कि बालू की जगह बोरियों में मिट्टी भरकर तटबंधों पर रखे जाने से कोई लाभ नहीं हुआ। बल्कि तटबंध पहले से ज्यादा असुरक्षित हो गया है। इस तरह की स्थिति कासिमचक, गंगहारा और नकटा गांव की है, जहां नदी की मूलधारा गांव के किनारे से बह रही है और मिट्टी की बोरियों को अपने साथ बहा कर ले जा रही है, जिसके कारण इन गांवों के नदी में विलीन होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इन गांवों के लोग बताते है कि इस वर्ष दानापुर के दियारे में पड़ने वाले चार गांव नदी में समा जायेंगे। इन गांवों की लगभग बीस हजार से ज्यादा की आबादी सीधे तौर पर मकान विहीन हो जाएगी। 33 वर्षों में दियारे के बीस से ज्यादा गांव कटाव के कारण नदी में विलीन हो चुके हैं। इन गांवों की एक लाख से ज्यादा की आबादी दानापुर, मनेर,दीघा समेत आसपास के इलाकों में किसी तरह जीवन बसर कर रही है।
 पटना सदर प्रखंड के उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के कुर्जी मस्जिद के पास उर्दू मध्य विघालय है। शिक्षा विभाग और मुखिया के अदूरदर्शिता के कारण बच्चों का शौचालय गंगा नदी के गर्भ में चला गया है। जमीन के अभाव का रोना रोकर मुखिया सुधीर कुमार सिंह ने शौचालय को गंगा किनारे बनवा दिया है। नतीजन गंगा नदी का पानी बढ़ने से शौचालय नदी के गर्भ में चला गया है। अब बच्चों को गंगा नदी का पानी उतरने तक इंतजार करना पड़ेगा।                                                                                          




आलोक कुमार