Monday 5 August 2013

जहानाबाद जिले में आवासीय भूमिहीनों की खोज जारी





    कुल 6667 की पहचान, 3433 को मिली जमीन और 3234 रह गये वासहीन
   
जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी हैनारा बुलंद करने वाले नपेंगे

जहानाबाद। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निदेशानुसार ही महत्वकांक्षी योजना महादलित विकास योजना को जनाहाबाद जिले में जमीन पर उतारी जा रही है। इस महत्वकांक्षी योजना के तहत वर्ष 2009-10 से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बसे वासरहित महादलित परिवारों का सर्वेक्षण किया गया। उन्हें सरकारी/रैयती भूमि का परचा देकर वासभूमि उपलब्ध करायी जा रही है तथा जहां सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं हो वहां रैयती भूमि का क्रय कर वासभूमि उपलब्ध करायी जा रही। अबतक कुल 6667 वासहीन महादलितों की पहचान की गयी। इसमें 3433 को ही जमीन मिली  और 3234 वासहीन रह गये हैं।

  प्रथम चरण में कुल सर्वेक्षित 3141 में से 2554 वासरहित महादलित परिवारों को वासभूमि उपलब्ध करायी जा चुकी है। षेश 587 वासरहित महादलित परिवारों को वासभूमि उपलब्ध कराने हेतु प्रस्ताव प्रगति पर है। इस प्रकार द्वितीय चरण के 3526 महादलित परिवारों में से 879 को वासभूमि उपलब्ध करायी जा चुकी है। शेष 2647 महादलित परिवारों के लिए बन्दोबस्ती की कार्रवाई द्रूत गति से प्रगति पर है और यह आशा की जाती है कि एक पक्ष के अन्दर शेष महादलित परिवारों को वासभूमि उपलब्ध करा दिया जाएगा। इस तरह जहानाबाद के विभिन्न प्रखंडों में अबतक कुल 6667 वासहीन महादलितों की पहचान की गयी। इसमें 3433 को ही जमीन दी जा सकी और 3234 वासहीन रह गये हैं।

  एकता परिषद,बिहार की संचालन समिति की सदस्या मंजू डुंगडुंग ने कहा है कि जिस रफ्तार से महादलित परिवारों को जमीन दी जा रही है। वह कछुआ चाल ही है। 3 साल के अंदर भी सरकार पहचान किये गये परिवारों को जमीन दिला नहीं सकी। वहीं अब जिले में अतिरिक्त छुटे हुए महादलित परिवारों को तृतीय चरण का सर्वेक्षण कार्य सभी अंचलों में प्रारंभ किया जा रहा है। वह अपने आप में महादलित परिवारों को सरकारी मायावी जाल में फंसाने की ही तरह है। सर्वेक्षण राजस्व कर्मचारी एवं विकास मित्र अंजाम देंगे। विकास मित्र जो महादलित परिवार के सदस्य हैं। इन दोनों के माध्यम से सर्वेक्षण कराया जा रहा है।

  गौरतलब यह है कि आजादी प्राप्त करने के तत्क्षण बाद बिहार ने भूमि सुधार लागू कर देश में प्रथम होने का परचम लहराया था। उसी समय में बिहार प्रिविलेज्ड होमस्टिड टिनेंसी एक्ट- 1947 लागू किया गया था। उसी समय से ही वासहीनों को जमीन दी जाने लगी। पहले 12.5 डिसमिल जमीन दी जाती थी। जो कालान्तर में घटकर 3 डिसमिल हो गयी है। इसमें भी नौकरशाह करतब दिखाकर ही 1 डिसमिल जमीन भी देकर आंकड़ाबाजी कर देते हैं। इसके आलोक में बिहार महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने महादलितों को 12 डिसमिल जमीन देने की अनुशंषा की थी। इसके बाद बिहार भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय ने 10 डिसमिल जमीन देने की अनुशंषा सरकार से की थी। इसके बाद जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम
गया। इस बात को लेकर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को एडवाइसरी अग्रसारित कर दिया है। इस एडवाइसरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी भेज दी गयी है।

   निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा जहानाबाद सदर प्रखंड में भूमि अधिकार और स्वास्थ्य को लेकर कार्य किया जाता है। जिला समन्वयक नागेन्द्र कुमार के मुताबिक 1031 आवेदन सीओ दफ्तर में प्रेषित किया गया है। इन आवेदनों पर तीन माह के बाद किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकी है। इस संदर्भ में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी गयी तो डेढ़ माह के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है। अब खुद ही समझ लें कि किस तरह से जहानाबाद सदर प्रखंड में कार्य निपटारा किया जा रहा है।

  इन मुद्दों को लेकर विभिन्न दलों/संगठनों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में जनता के बीच में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। उनको जागरूक बनाया जाता है। उनके अधिकार को बताया जाता है ताकि ग्रामीण अपने अधिकार को लेकर आवाज बुलंद कर सके। उनको हिंसा और अशांति फैलाने का पाठ नहीं पढ़ाया जाता है। हां, जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी है। का नारा जरूर ही बुलंद कराया जाता है। गैर मजरूआ भूमि,भूदान भूमि आदि भूमि पर दबंगों का कब्जा है। सरकार और जिला प्रशासन का फर्ज बनता है कि तथाकथित दबंगों के हाथों से सरकारी जमीन मुक्त कराकर वासहीनों को जमीन उपलब्ध कराये। वासभूमि का परचा गरीबों के हाथ में रहता है और जमीन दबंगों के साथ में रहता है।
 अगर जिला प्रशासन सक्रिय होकर सभी लोगों की समस्या दूर कर दें। तो संस्था/ संगठनों की जरूरत नहीं पड़ेगी। मगर यह कहां होता है? गरीबों को कार्यालय में सम्मान ही नहीं दिया जाता है। उनको उपेक्षित छोड़ दिया जाता है। तब ही किसी अनाधिकृत व्यक्ति /संगठन/दल का प्रवेश होता है। अगर जिला प्रशासन सीधे क्षेत्र के अंचल अधिकारी /हल्का कर्मचारी से संपर्क कर अपना आवेदन देने का मार्ग खोलता है तो वह स्वागत योग्य कदम होगा। तब जाकर जिला प्रशासन पूर्ण रूप से सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के वास्तविक एवं     शतप्रतिशत कार्यान्वयन अर्थात एक-एक महादलित परिवार  को वासभूमि उपलब्ध कराने के लिए कटिद्ध हो जाएगा।

जिला प्रशासन आपको विश्वास दिलाना चाहती है कि किसी स्तर पर इस कार्य में शिथिलता बरतने वाले पदाधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई करेगी। यदि अंचल स्तर पर  आपकी इस समस्या के समाधान में विलम्ब किया जाता है तो जिला स्तर पर इसकी सूचना अवश्य उपलब्ध करायें। इसमें आपका पूर्ण सहयोग अपेक्षित है। वहीं जिला प्रशासन ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटेगी और किसी भी परिस्थिति में सामाजिक समरसता को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।

आलोक कुमार