Monday 1 December 2014

आखिर कबतक सत्याग्रह करने को मजबूर होगी 148 महिलाकर्मी?




सीएम हस्तक्षेप करके सत्याग्रहियों का मान बढ़ाए

गया। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र प्रवीण कुमार मांझी से विवाह रचाने वाली रिंकी देवी कहती हैं। पापा (मुख्यमंत्री) से मौसी (सास) लालपरी देवी के बारे में बात किए हैं। उनका कहना हैं कि इस बाबत सोच रहे हैं। सास शांति देवी से भी हस्तक्षेप करने को कहा गया है। अब तो इस बारे का परिणाम तो बाद में ही पता चलेगा।
पत्नी शांति देवी और पुत्रवधू रिंकी देवी के द्वारा साली लालपरी देवी को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पसोपेश में पड़ गए हैं। नौकरशाहों के द्वारा नियोजन पर चलायी गयी कैंची को जायज करार दें कि नौकरशाहों के द्वारा नियोजन पर वज्रपात करने को नाजायज करार दें।

बताते चले कि गया जिले के विभिन्न प्रखंडों में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बेहतर परिणाम देने के लिए चयन समिति गठित की गयी थी। इसमें चार सदस्य थे। इन लोगों ने मिलकर 148 महिलाकर्मियों को 27 सितम्बर 2007 को चयन किया। अल्प मानदेय लेकर वार्डेन,शिक्षिका,आदेशपाल,रात्रिप्रहरी और रसोइया 24 घंटे काम करने लगीं। जब सेवा को स्थायीकरण करने की मांग मुखर होने लगी। तब नौकरशाहों ने 4 जनवरी 2013 को नियोजन ही रद्द कर दिए। इसमें सीएम की साली लालपरी देवी भी शामिल होने हाई प्रोफाइल मामला बन गया है।

नियोजन रद्द होने की सूचना मिलते ही 148 महिलाकर्मी बैचेन हो गयी। एक ही झटके में सड़क पर आ जाने से आर्थिक और मानसिक परेशानी होने लगी। तब से हर द्वार खटखटाने के बाद 17 नवम्बर 2014 से गांधी जी की राह पर चलकर जत्थेवार 24 घंटे का अनशन प्रारंभ कर दिए। इस सत्याग्रह में पूर्णरूपेण से सीएम की साली लालपरी भी शामिल हैं। छंटनीग्रस्त महिलाकर्मी सत्याग्रह करने को मजबूर हैं। सत्याग्रही विभा देवी तीन बार और भारती कुमारी दो बार जत्थेवार 24 घंटे का अनशन कर चुकी हैं।

सत्याग्रह स्थल पर एक मुलाकात के दौरान सीएम की साली लालपरी देवी कहती हैं। सीएम की साली होने के बावजूद भी सत्याग्रहियों के साथ हैं। मैंने निर्णय कर लिए है कि जबतक हमलोगों की मांग जीजा जी पूरी नहीं करते हैं,तबतक सत्याग्रह स्थल से हटकर घूमने नहीं जाएंगी। जब जीजा जी के द्वारा हम सत्याग्रहियों की मांग पूरी होगी। तब ही महाबीर मंदिर में जाकर देवी-देवताओं को पूजेंगे। गांवघर की अन्य सत्याग्रहियों की तरह नहीं हैं। अपना मकसद छोड़कर जादूघर, गोलघर,तारा मंडल,चिड़ियाखाना आदि दर्शनीय स्थानों में भ्रमण करने चले जाए। वहीं राजधानी के नागरिकों से रूठकर दूर से दूर चली गयी गंगा नदी में डूबकी लगाने चली जाए। हां, पुत्रवधू रिंकी देवी के कहने पर सीएम हाउस चली गयी थीं। वहां पर जाकर सत्याग्रहियों के मकसद पूरा करवाने की बात की गयी।  

नौकरी में बहालकर सेवा को स्थायीकरण करने की मांग को लेकर सत्याग्रह करने वाली महिलाकर्मी निराश होने लगी हैं। मनोरमा देवी विभा देवी, मीना देवी आदि ने यह सवाल उछाला कि आखिर कबतक हमलोग सत्याग्रह करते रहेंगेइस आंदोलन में सीएम जे.आर. मांझी हस्तक्षेप करें। कस्तूरबा गांधी बालिका वि़द्यालय की फाइल मंगवाकर अंतिम निर्णय लें। अंतिम निर्णय सत्याग्रहियों के पक्ष में लें।


आलोक कुमार

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