Saturday 2 April 2016

शारीरिक दुर्बलता झेलने के बाद भी पशुवत रिक्शा खिंचते हैं


पटना। जॉनी.. जॉनी,यश पापा, ईटिंग सूगर नो पापा....टेलिंग लाई, नो पापा... ऑपेन योर माउथ......हा...हा....। स्व0 माइकल एरिक के पुत्र हैं जॉनी माइकल। बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में रहते हैं। फिलवक्त रिक्शाचालक हैं जॉनी। वह
शारीरिक दुर्बलता झेलने के बाद भी पशुवत रिक्शा खिंचते हैं। संत दोमनिक सावियों में खलासी का कार्य करते हैं जॉनी के पुत्र। शादीशुदा पुत्र को पांच हजार रू0 माहवारी मिलता है। एक ईसाई होने के बावजूद भी ऑपेनली जॉनी रिक्शा चला रहा है।

खैर, संत जोसेफ हाई स्कूल में माली का कार्य करते थे स्व0 माइकल एरिक। अल्पवेतनभोगी माइकल को ह्दय रोग हो गया। इसी रोग के आलोक में नौकरी से बिठा दिये गये। सेवानिवृत होने में 10 साल शेष था। इस आफत से माइकल के पुत्र जॉनी,लिनुस और उसकी बहन पढ़ाई जारी नहीं रख सके। ईसाई मिशनरी द्वारा एन0जी0ओ0गिरी की जाती है। ऐसे लोगों को पढ़ाई जारी नहीं रख सके। बताते चले कि जॉनी की फूआ मिशनरी हैं। सेक्रेट हार्ट धर्मसमाज की सिस्टर हैं। 

अभी भाड़ा पर रिक्शा चलाते हैं जॉनी। जॉनी कहते हैं कि किसी तरह से रिक्शा खरीदनी है। तब फादर से आशीष दिलवाएंगे। उसे बताया गया कि अगर आप गाड़ी खरीदते हैं और पुरोहित से आशीष दिलवाना चाहते हैं तब पर्स में मोटी राशि लेकर जाए। दो पहिया वाहन को 200 रू0 देना पड़ेगा। चार पहिया वाहन को 500 रू0 और बस,ट्रक आदि वाहन को 1000 रू0 देना पड़ेगा। 

भूमि पूजन करवाने वाले ग्रामीण इलाके के व्यक्ति 200 रू0 और शहरी इलाके के व्यक्तियों को 500 रू0 देना पड़ेगा। गृह प्रवेश करने वाले ग्रामीण इलाके के व्यक्ति को 200 रू0 और शहरी इलाके के व्यक्ति को 500 रू0 देना होगा। कब्रिस्तान की रख-रखाव के लिए प्रति परिवार प्रति माह 20 रू0 देंगे। पास्ट्रल चन्दा प्रति परिवार प्रति माह 50 रू0 देंगे। 

सामान्य अवस्था में दरों का अनुपालन किया जाना है। किसी भी कारण से पैसे के अभाव के कारण किसी को भी आध्यात्मिक सेवा से बंचित नहीं रखा जाना है। इसी प्रकार अगर कोई निर्धारित दर से अधिक दे रहे हैं तो उनकी उदारता की अवहेलना नहीं होनी है। 

मिस्सा पूजा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें- किसी भी हालत में गिरजा घर और उप केन्द्रों को छोड़ किसी अन्य स्थानों में रविवारीय मिस्सा नहीं होना चाहिए। परिवारों में गृह प्रवेश और मृत्यु से संबंधित स्थानीय रिवाजों के अनुसार तीसरे या दसवें दिन,तीसवें अथवा चालीसवे दिन और प्रथम वरसी के दिन मिस्सा किया जा सकता है। ग्रामीण इलाके में विवाह घर में होता है। अतः ऐसी जगहों में विवाह के लिए घर में मिस्सा किया जा सकता है। रोग शैया पर लेटे मरीज अगर मिस्सा का अनुरोध करता है, तो उनके लिए रोग शैया के पास मिस्सा की अनुमति हैं जन्मदिन,विवाह के सालगिरह,रजत अथवा स्वर्ण जयन्ती आदि अन्य किसी भी अवसर पर गिरजा घर में ही मिस्सा कराया जा सकता है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना। 

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