Thursday 24 March 2022

भाकपा-माले का 11 वां राज्य सम्मेलन 25-27 मार्च को गया में


पटनाः बिहार में बढ़ती भाजपाई साजिश को नाकाम करने के लिए वामपंथ को मजबूत करने और महागठबंधन को धारदार बनाने के आह्वान के साथ गया के एमएसवाई रिसाॅर्ट, माड़नपुर, बाइपास, खटकाचक में आगामी 25-27 मार्च को भाकपा-माले का 11 वां राज्य सम्मेलन होने जा रहा है. सम्मेलन में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रभात कुमार चौधरी, यूपी के पार्टी प्रभारी रामजी राय, यूपी राज्य सचिव सुधाकर यादव आदि प्रमुख रूप से भाग लेंगे. पोलित ब्यूरो के सदस्य जनार्दन प्रसाद केंद्रीय पर्यवेक्षक हैं.

यह सम्मेलन ऐसे दौर में हो रहा है, जब उत्तरप्रदेश सहित 4 राज्यों में अप्रत्याशित जीत हासिल कर लेने के बाद भाजपा व संघ ब्रिगेड अपने काॅरपोरेट एजेंडे व जनता पर फासीवादी हमले को और तेज करने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार की राजनीति भी एक संक्रमणकालीन दौर से गुजर रही है और यहां भी भाजपा पूरी तरह से सत्ता को कब्जा कर लेने की फिराक में है. वह तमाम संवैधानिक संस्थाओं को भाजपामय कर देने के अभियान में लगी हुई है.

ऐस में वाम-लोकतांत्रिक ताकतों को इस फासीवादी हमले के खिलाफ मजबूत एकता का प्रदर्शन करते हुए दृढ़ता के साथ भाजपा का मुकाबला करने की चुनौती स्वीकार करने तथा लोकतंत्र, न्याय, रोजगार के पक्ष में चल रहे आंदोलन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा.
 
राज्य में हाल के दिनों में माॅब लिंचिंग, सामंती-अपराधियों व पुलिस अत्याचार की लगातार बढ़ती घटनाओं ने नीतीश कुमार के ‘सुशासन’ को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है. अभी हाल में मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में जिस तरह से एक अतिपिछड़ी जाति के विरेश चंद्रवंशी की हत्या की गई और उलटे पुलिस व सामंती-अपराधियों ने दलितों-अतिपिछड़ों पर ही कहर बरपाया, वह साबित करता है कि नीतीश कुमार ने सामंती-अपराधियों के सामने पूरी तरह आत्मसर्मपण कर दिया है. 

पश्चिम चंपारण में पुलिस हाजत में एक युवक की मौत के बाद आक्रोश भड़कना स्वभाविक था, लेकिन उसकी आड़ में बजरंग दल ने पुलिस थाने में उपद्रव को संगठित किया. ऐसे तत्वों पर कार्रवाई करने की बजाए पुलिस आम लोगों पर कहर बनकर टूटी है. आज के बिहार का यही सच है. विकास के सारे पैमाने पर भी बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. नीति आयोग की रिपोर्ट ने इसकी पोल खोल दी है.

गया शहर का नामकरण शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर किया गया है. सभागार का नामकरण माले के दिवंगत पूर्व राज्य सचिव काॅ. रामजतन शर्मा तथा समकालीन लोकयुद्ध के संपादक बृजबिहारी पांडेय के नाम पर किया गया है. जबकि मंच का नामकरण पूर्व राज्य सचिव काॅ. पवन शर्मा तथा पार्टी के पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े प्रो. अरविंद कुमार सिंह के नाम पर किया गया है.

सम्मेलन में तकरीबन 800 प्रतिनिधि भाग लेंगे. 25 मार्च को एक बजे से 4 बजे तक खुला सत्र चलेगा. खुले सत्र में बिहार की वाम पार्टियों को आमंत्रित किया गया है. उसके पहले माले महासचिव द्वारा नेयामतपुर आश्रम जाकर किसान आंदोलन के प्रखर नेता पंडित यदुनंदन शर्मा को श्रद्धांजलि दी जाएगी. साथ ही, गया शहर में 1942 के शहीदों को भी याद किया जाएगा. कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा-माले, बिहार, धीरेन्द्र झा, पोलित ब्यूरो सदस्य, भाकपा-माले,केडी यादव, वरिष्ठ नेता, भाकपा-माले,वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, केंद्रीय कमिटी सदस्य, विधायक, सिकटा,रामबलि सिंह यादव, राज्य कमिटी सदस्य, विधायक, घोषी और बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र से चैथी बार रिकाॅर्ड वोट से जीतकर आए विधायक महबूब आलम  प्रेस वार्ता में थे.

आलोक कुमार

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