Sunday, 4 August 2013

महानगरों की तर्ज पर पटना में कूल-कूल पानी बिकने लगा

                


20 रूपए में छोटा और 25 रूपए में बड़ा जार में मिलता पानी

 पटना। दीघा थाना क्षेत्र में कूल-कूल पानी बनता और यहीं से कूल-कूल पानी बेचा भी जाता है। आपको यकीन नहीं हो रहा है। सो तस्वीर को गौर से देखे। तब जाकर सच्चाई सामने जाएगा। हां, जी यहीं व्यक्ति ठेला पर पानी का जार लेकर आता है। जिस तरह का जार पंसद करेंगे तो उसी के हिसाब से दाम देना पड़ेगा। 20 रूपए में छोटा और 25 रूपए में बड़ा जार में कूल-कूल पानी मिलता है। दावा है कि जार को ठीक तरह से बंद करके रखा जाए तो आसानी से 4 घंटे तक पानी ठंडा रह सकता है।

  आजकल शहर में बहुत ही कम सड़क के किनारे स्टैण्ड स्ट्रीट टाप देखने को मिलता है। अगर नल मिल भी जाए तो उस नल से गंदा पानी निकलता है। कारण कि जलापूर्ति केन्द्र से आपूर्ति होने वाले पाइप जगह-जगह पर टूट गया है। एक साथ नाला और पानी का पाइप का संबंध हो गया है। उसी जगह से पाइप में नाली का पानी प्रवेश कर जाता है। जलापूर्ति केन्द्र बंद हो जाने के समय नाला का पानी पाइप में प्रवेश कर जाता है। सुबह, दोपहर और शाम को जलापूर्ति केन्द्र चालू करने के बाद शुरूआती नाला का ही पानी गिरता है। जो बदबूदार और कीचड़युक्त रहता है। ऐसा पानी पीने से लोग मियादी बुखार और पीलिया रोग की चपेट में जाते हैं।

 इसको देखकर ही दीघा में जार में भर पानी आपूर्ति करने का फैसला किया गया। इससे कुछ लोगों को रोजगार मिल गया है। अब लोगों को 10 से 15 रूपए में बंद बोतलों में पानी खरीदकर पीना नहीं पड़ता है। खुद जार खरीद लिये हैं। बड़े-बड़े जार में पानी भरकर धंधा करने वालों से पानी खरीद लेते हैं। दिनभर मजे से पीते रहते हैं। यह बिल्कुल ही आराम का मामला बन गया है।

 धंधा को आरंभ में दीघा हाट से शुरू किया गया। जो अब पसरकर बोरिंग रोड, बेलीरोड, दानापुर आदि जगहों तक हो गया है। यह जगहों के लिए अलग-अलग वेंडर रखा गया है। जो अपने दैनिक उपभोक्ताओं को कूल-कूल पानी पहुंचा देता है। इससे बहुत ही राहत मिल रही है। अपने घर द्वार और दुकान को छोड़कर पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता है। वह कहावत अब उल्टा साबित हो रहा हैप्यासा कुआं के पास जाता है, कि कुआं प्यासा के पास जाता है हां, अब रकम कमाने वाले लोग ही प्यासे लोगों को प्यास बुझाकर अपनी रकम का प्यास बुझाने में कामयाब हो रहे हैं। आप के पास ही जार में पानी लेकर व्यक्ति पहुंच जा रहा है। बस आप जेब से रकम निकालने के लिए तैयार रहे।

  अब देखना होगा कि कूल-कूल पानी का धंधा करने वाले धंधेबाज किस तरह का पानी लोगों को पीला रहे हैं। क्या गंदे पानी को परोस रहे हैं?और कितना स्वच्छता पर ध्यान देते हैं। ऐसा लगता है कि किसी हादसे के बाद ही यह पानी मानक पर खरा उतरेगा? इससे अच्छा है कि तरह के धंधा करने वाले पूर्ण जिम्मेवारी से कर्तव्य निर्वाह करें।
आलोक कुमार