Wednesday, 29 July 2015

वर्ष 2011 में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने एक संधि (आईएलओ-सी-189) पारित किया है केन्द्र सरकार अनुसमर्थन करें


पटना।और गरीब परिवार के बच्चे बाल मजदूर और महिलाएं घरेलू कामगार बन जाती हैं। अधिकांश महादलितों के बच्चे बाल मजदूर और अनुसूचित जन जाति की महिलाएं घरेलू कामगार बन जाते हैं। इन दोनों का जमकर शोषण किया जाता है।ऐसे लोगों हक दिलवाने की दिशा में एन.जी.ओ. सक्रिय हैं।

इन दिनों एन.जी.ओ. की सक्रिय कार्यकर्ता हस्ताक्षर अभियान चलाने में शामिल हैं। सुश्री सलोमी, सुषमा,ज्योति कुमारी,नौवी टूडु, और अमीत राज हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। आवाजाही करने वालों से निवेदन करते हैं कि घरेलू कामगारों के समर्थन में हस्ताक्षर करते चले जाए। लोगों में उत्साह है। किए गए निवेदनों को स्वीकार करके हस्ताक्षर करके चले जाते हैं। अभी हस्ताक्षर अभियान को राजधानी तथा अन्य जिलों को शामिल कर रखा है। ऐतिहासिक गाँधी मैदान, बोरिंग रोड, पटना रेलवे स्टेशन, कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर, मलाई पकड़ी अनुग्रह नारायण कॉलेज में हस्ताक्षर अभियान जारी है।

आजकल बिहार द्यरेलू कामगार संगठन के द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। वर्ष 2011 में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने एक संधि (आईएलओ-सी-189) पारित कर रखा है। मगर भारत सरकार के द्वारा 4 साल के बाद भी अनुसमर्थन नहीं किया जा रहा है। इसके कारण देशभर 3 करोड़ घरेलू कामगारों को आर्थिक एवं सामाजिक दोहन जारी है।केन्द्र सरकार घरेलू कामगारों के हित और अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कानून बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रही है।
बिहार द्यरेलू कामगार संगठन के राज्य समन्वयक सिस्टर लीमा ने कहा कि हमलोग सूबे के 38 जिलों में कार्यरत हैं। काफी संख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और पिछड़ा वर्ग की महिलाएं घरेलू कामगार हैं।मलाईदार लोगों के घरों में कार्य करती हैं। जहाँ इनका सामाजिक एवं आर्थिक शोषण किया जाता है। आगे सिस्टर लीमा कहती हैं कि बिहार घरेलू कामगार संगठन घरेलू कामगारों की बेहतर जिदंगी प्रदान करने को प्रतिबद्ध हैं। हमलोग 20 हजार लोगों से हस्ताक्षर करवाकर केन्द्र और राज्य सरकार के समक्ष प्रेषित करेंगे। हस्ताक्षर अभियान का उद्देश्य है कि घरेलू कामगारों के लिए सरकार से कानून बनाने पर दबाव बनाना। घरेलू कामगार अत्यंत ही कमजोर एवं शोषित समूह हैं।बिहार घरेलू कागार संगठन की दो तरह की माँग है। अव्वल घरेलू कामगारों के लिए अलग से कानून बनाया जाए और द्वितीय भारत सरकार आईएलओ सी.189 का अनुसमर्थन करें।

सुश्री सलोमी कहती हैं कि बिहार सरकार घरेलू कामगारों के लिए असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन करें। जिसके द्वारा घरेलू कामगार बहने सुविधा पाकर अपने जीवन सुरक्षित एवं सम्मान के साथ जी सकें। आगे कहा कि राज्य सरकार घरेलू कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन कर  सुरक्षा नीति, घर की व्यवस्था, स्कूली बच्चों के लिए छात्रवृति,स्वास्थ्य नीति, वृद्धावस्था में आश्रय,भविष्य निधि, साप्ताहिक , मासिक एवं वार्षिक छुट्टी, वृद्धावस्था पेंशन, बी.पी.एल.सूची में स्वतः समावेश कर देने का प्रावधान करें।

आलोक कुमार

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