पटना। आजादी के सात दशक
के बाद भी विकास के
डगर पर नहीं पहुंच
पाएं हैं मुसहर समुदाय। सीएम नीतीश कुमार ने सत्ता आसीन
की पहली पाली में ही महादलित आयोग
निर्माण कर दिया। दलितों
में केवल छोड़ ‘दुसाध’को छोड़कर सभी
दलितों को महादलित आयोग
में शामिल किया गया। जब बिहार सरकार
के द्वारा गठित महादलित आयोग से मुसहर समुदाय
का विकास नहीं हो सका तो
विपक्ष के लोग मिलकर
महादलित आयोग के अभिन्न अंग
मुसहर समुदाय को अनुसूचित जाति
से निकालकर अनुसूचित जन जाति में
शामिल करने की मांग करने
लगे। इसमें मुसहर समुदाय के नेतृत्व करने
वाले जीतन राम मांझी, उमेश मांझी, अयज मांझी आदि नेताओं ने ताबड़तोड़ मांग
करने लगे। परन्तु अपनी मांग को पूर्ण करवाने
में असफल रहें।
खैर, किसी तरह से जीतन राम
मांझी को सीएम बनने
का मौका मिला। अपने कार्यकाल में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी अपनी मांग
को पूर्ण करने की दिशा में
कारगर कदम नहीं उठाया। इसका परिणाम सामने हैं। जानकार लोगों का कहना है
कि अभी महादलित मुसहर समुदाय के लोग अनुसूचित
जाति की श्रेणी में
हैं। अगर उनको अनुसूचित जाति की श्रेणी से
निकालकर अनुसूचित जन जाति में
शामिल करना है तो उनकी
इथनोग्राफी रिपोर्ट( नृवंशविज्ञान रिपोर्ट) पेश करनी चाहिए। तब जाकर साफ
जाहिर होगा कि अनुसूचित जन
जाति मूल से संबंधित है।
जो सरकार और विपक्षी करवाने
के मूड में नहीं है।
आलोक
कुमार
No comments:
Post a Comment